मानव विकास रिपोर्ट में भारत 119वें स्थान पर.

Saturday, February 5, 2011

मजबूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में खराब सामाजिक बुनियादी ढांचा में कारण भारत मानव विकास सूचकांक के मामले में 119वें पायदान पर है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के मानव विकास रिपोर्ट 2010 में 169 देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इस सूची में भारत चीन (89वें) और श्रीलंका (91वें) से भी पीछे है। आय सूचकांक में भारत की स्थिति में 10 पायदान का सुधार हुआ है लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में पड़ोसी देश बांग्लादेश तथा पाकिस्तान से भी काफी पीछे है। मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में शून्य से एक अंक के पैमाने में 0.939 अंक के साथ नार्वे सर्वोच्च पायदान पर है। नार्डिक देश नार्वे के बाद आस्ट्रेलिया (0.937 अंक) दूसरे स्थान पर तथा न्यूजीलैंड 0.907 अंक के साथ तीसरे पायदान पर है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका 0.902 अंक के साथ चौथे पायदान पर है। एचडीआई में भारत की स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया में मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने आज कहा कि देश का लक्ष्य कुल मानव विकास होना चाहिए न कि केवल आर्थिक वृद्धि। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक वृद्धि और आय स्तर में वृद्धि शिक्षा, स्वास्थ्य और लिंग समानता जैसे मानव विकास पहल के लिए जरूरी है। वर्ष 2005 से पांच साल की तुलना के आधार पर भारत की स्थिति सूचकांक में एक अंक सुधरी है। बहरहाल, यूएनडीपी ने सालाना आधार पर तुलनात्मक रैंकिंग नहीं दी है। यूएनडीपी के भारत में रेजिडेंट प्रतिनिधि पैट्रिक सी-बिजोट ने यहां संवाददाताओं से कहा कि इस बार हमने तीन नए सूचकांक लिए हैं। इसमें असमानता समायोजन एचडीआई, लिंग असमानता सूचकांक और बहुआयामी गरीबी सूचकांक शामिल हैं। एचडीआई के निर्धारण में अन्य कारकों में सशक्तिकरण, असामनता, शिक्षा, स्वास्थ्य, जनसंख्या के स्वरूप में परिवर्तन की प्रवृत्ति, आम लोगों का जीवन स्तर शामिल हैं। बिजोट ने कहा कि हालांकि मानव विकास सूचकांक मामले में पिछले 20 साल में प्रगति की है लेकिन देश में लगातार असमानता बढ़ रही है
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