ग्रामीण विकाश योजनाएं : एक नजर

Saturday, March 17, 2012

भारत में सर्वप्रथम 'सामुदायिक विकास कार्यक्रम '  अक्तूबर १९५२ में पंडित जवाहरलाल नेहरु द्वारा प्रारंभ किये गये थे । विशेषज्ञों का मानना था , कि देश में एक ऐसासंगठन स्थापित किया जाये जिसका मुख्य उद्देश्य सर्वांगीण ग्रामीण विकास हो एवं इसउद्देश्य को प्राप्त करने में सभी देश वासियों का सहकारिता के आधार पर सहयोग हो । इसकार्यक्रम के निर्माण में तीन अमेरिकी विशेषज्ञों डगलस अन्सिमगरचेस्टर बऊल्स औरकार्ल टेलर का योगदान था ।
- सघन कृषि जिला कार्यक्रम १९६०-६१ में शुरू किया गया ।
- लघु कृषक विकास योजना १९६७ में प्रारंभ हुई ।
- सूखाग्रस्त क्षेत्र कार्यक्रम १९७३ में आरम्भ हुआ ।
-मरुस्थल विकास कार्यक्रम १९७७-७८ में शुरू किये गये ।
- राष्ट्रीय कृषि अनुसन्धान परियोजना का श्रीगणेश १९८८ में हुआ ।
- राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम १९९५ से प्रारंभ हुए ।
- ग्रामीण रोजगार सर्जन कार्यक्रम का आरम्भ १९९५ में हुआ ।
- जवाहर ग्राम सम्रद्धि योजना कि शुरुआत १९९९ से हुई ।
- स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से १९९९ से शुरू हुई।
- भारत सरकार ने २००० में अन्नपूर्णा योजना प्रारंभ की।
- अन्त्योदय अन्न योजना २००० में केंद्र सरकार द्वारा शुरू हुई । इसमें गरीबी रेखा से नीचे के लोगो को २ रूपये किलो गेंहू और ३रूपये किलो चावल दिए जाते है ।
- सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना २००१ में केंद्र सरकार ने राज्यों के सहयोग से शुरू की ।
- प्रधान मंत्री ग्रामोदय योजना २०००-०१ में शुरू हुई।
- काम के बदले अनाज का राष्ट्रीय कार्यक्रम २००४ में शुरू हुआ ।
- २००५ में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) का शुभारम्भ हुआ , जिसका नाम २००९ में महात्मा गाँधी राष्ट्रीयग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया । इस अधिनियम के अंतर्गत बेरोजगार लोगो के उनके क्षेत्र के आस पासही १०० दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है ।
 
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