Sunday, September 15, 2013

दिन में सोने से कई प्रकार के रोग होने की संभावना

हमारे धर्म शास्त्रों में दिन में सोना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में लिखा है- दिवास्वापं च वर्जयेत्। अर्थात दिन में सोना उचित नहीं है। देखने में आता है कि अधिकांश घरेलू महिलाएं तथा दो पारियों में काम करने वाले पुरूष दिन में सोते हैं। दिन में सोना सिर्फ शास्त्रों में ही वर्जित नहीं माना गया अपितु आयुर्वेद भी इस बात की पुष्टि करता है कि दिन में सोने से कई प्रकार के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार दिन में सोने से प्रतिश्याय जुकाम हो जाता है। यह जुकाम जब स्थायी हो जाता है तो कास रोग हो जाता है। कास रोग ही आगे जाकर श्वास रोग में बदल जाता है। श्वास रोगी के फेफड़े धीरे-धीरे खराब हो जाते हैं और यह स्थिति क्षय अर्थात तपेदिक जैसे असाध्य रोग में बदल जाती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी रात में पूरी नींद लेकर दिन में कार्य करना ही उत्तम माना गया है।
रात की नींद से शरीर को पर्याप्त आराम मिलता है। जिससे सुबह उठकर शरीर में नवीन ऊर्जा का संचार होता है जो दिनभर के कार्यों के लिए पर्याप्त होती है। दिन में सोकर हम अनावश्यक रूप से शरीर को आलस्य का घर बनाते हैं। अत: रात में भरपूर गहरी नींद लेकर दिन में कार्य करना ही उचित माना गया है।
Saturday, September 14, 2013

पेट्रोल का खर्च कम करने के आसान उपाय

पेट्रोल की कीमतों को लेकर आये दिन बवाल होता ही रहता है। संसद से लेकर सड़कों पर पेट्रोल की कीमतों में लगती आग अब आम चर्चा का विषय है। ऐसे में हमें यह देखना होगा कि अगर पेट्रोल की कीमतें हमारे बस में नहीं हैं तो हम पेट्रोल की खपत पर कैसे नियंत्रण रख सकते है। इस बारे में हम आपकी थोड़ी मदद जरूर कर सकते हैं। आइये देखते हैं कि पेट्रोल की खपत को काबू में कैसे किया जाए। कब और कैसे अपनी गाड़ी की टंकी में पेट्रोल भरा जाए।

रात या सुबह में भरें गाड़ी की टंकी : बेहतर होगा कि आप अपनी गाड़ी (कार या मोटरसाइकिल) की टंकी को बिल्कुल सुबह भराएं। उस वक्त जमीन का तापमान काफी ठंडा रहता है। सभी पेट्रोल पंपों या सर्विस स्टेशनों के टैंक जमीन के नीचे ही रहते हैं। जमीन जितनी ठंडी होगी, ईधन उतना ही गाढ़ा या ठोस होगा। जैसे ही जमीन गर्म होने लगती है, पेट्रोल फैलने लगता है। तो अगर आप दोपहर या शाम को पेट्रोल भरते हैं तो एक लीटर अभी पुरा टंकी में नहीं आएगा।

टंकी आधी होते ही भराएं पेट्रोल : गाड़ी की टंकी खाली होने का इंतजार न करें। टंकी आधी होते ही पेट्रोल भरवा लें। टंकी में जगह खाली रहती है तो पेट्रोल अपने आप तेजी से उड़ने लगता है। आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि पेट्रोल कितनी जल्दी हवा हो जाएगा।
हाई प्रेशर (नोजल ट्रिगर) पर पेट्रोल न भराएं : ध्यान रखें कि जब आप पेट्रोल भरवा रहे हों तो उसका प्रेशर या मोड हाई न हो, उसका मोड लॉ होना चाहिए। इससे पेट्रोल उड़ने की संभावना कम हो जाएगी और आप ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पेट्रोल भरा सकेंगे।

पेट्रोल पंप पर टैंकर हो तो न भराएं टंकी : यह काफी जरूरी है कि जब पेट्रोल टैंकर पंप पर पेट्रोल डाल रहा हो तो आप अपनी टंकी न भराएं। जब भी टैंकर पंप पर पेट्रोल डालता है तो नीचे पड़ी सारी गंदगी ऊपर आ जाती है और यह सीधे आपकी गाड़ी की टंकी में पहुंच जाते हैं। इससे आपके इंजन पर प्रभाव पड़ेगा।
टायर में हवा की जांच करा लें : प्रत्येक एक या दो हफ्ते में टायर की हवा चैक करा लें। इससे गाड़ी पर ज्यादा भार नहीं पड़ता और माइलेज भी बढ़ जाती है। ड्राइविंग सीट के नीचे एक लेबल लगा रहा है कि जो टायर के प्रेयर के बारे में बताता है।
समय पर गाड़ी की सर्विसिंग करा लें : कार सर्विस के दौरन तीन चीजों को हमेशा बदला लें- ऑयल, ऑयल फिल्टर और एयर फिल्टर। अगर आप कोई भरोसेमंद मकैनिक को जानते हैं तो यह काम सस्ते में भी हो सकता है।
स्पार्क प्लग को बदलें : 5 साल में एक बार आप स्पार्क प्लग को बदल लें। हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले स्पार्क प्लग का लगाएं। यह आपकी ईधन खपत को सुधारेगा जिससे माइलेज बढ़ेगी।
Saturday, March 17, 2012

ग्रामीण विकाश योजनाएं : एक नजर

भारत में सर्वप्रथम 'सामुदायिक विकास कार्यक्रम '  अक्तूबर १९५२ में पंडित जवाहरलाल नेहरु द्वारा प्रारंभ किये गये थे । विशेषज्ञों का मानना था , कि देश में एक ऐसासंगठन स्थापित किया जाये जिसका मुख्य उद्देश्य सर्वांगीण ग्रामीण विकास हो एवं इसउद्देश्य को प्राप्त करने में सभी देश वासियों का सहकारिता के आधार पर सहयोग हो । इसकार्यक्रम के निर्माण में तीन अमेरिकी विशेषज्ञों डगलस अन्सिमगरचेस्टर बऊल्स औरकार्ल टेलर का योगदान था ।
- सघन कृषि जिला कार्यक्रम १९६०-६१ में शुरू किया गया ।
- लघु कृषक विकास योजना १९६७ में प्रारंभ हुई ।
- सूखाग्रस्त क्षेत्र कार्यक्रम १९७३ में आरम्भ हुआ ।
-मरुस्थल विकास कार्यक्रम १९७७-७८ में शुरू किये गये ।
- राष्ट्रीय कृषि अनुसन्धान परियोजना का श्रीगणेश १९८८ में हुआ ।
- राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम १९९५ से प्रारंभ हुए ।
- ग्रामीण रोजगार सर्जन कार्यक्रम का आरम्भ १९९५ में हुआ ।
- जवाहर ग्राम सम्रद्धि योजना कि शुरुआत १९९९ से हुई ।
- स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से १९९९ से शुरू हुई।
- भारत सरकार ने २००० में अन्नपूर्णा योजना प्रारंभ की।
- अन्त्योदय अन्न योजना २००० में केंद्र सरकार द्वारा शुरू हुई । इसमें गरीबी रेखा से नीचे के लोगो को २ रूपये किलो गेंहू और ३रूपये किलो चावल दिए जाते है ।
- सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना २००१ में केंद्र सरकार ने राज्यों के सहयोग से शुरू की ।
- प्रधान मंत्री ग्रामोदय योजना २०००-०१ में शुरू हुई।
- काम के बदले अनाज का राष्ट्रीय कार्यक्रम २००४ में शुरू हुआ ।
- २००५ में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) का शुभारम्भ हुआ , जिसका नाम २००९ में महात्मा गाँधी राष्ट्रीयग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया । इस अधिनियम के अंतर्गत बेरोजगार लोगो के उनके क्षेत्र के आस पासही १०० दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है ।
 

सचिन का 100वां सैकड़ा - सचिन अभी 10 बल्लेबाजों से पीछे हैं

सचिन तेंडुलकर ने बांग्लादेश के खिलाफ सैकड़ा लगाकर शतकों का महाशतक पूरा कर लिया। इस कीर्तिमान को हासिल करने के बाद हर ओर तेंडुलकर की जय-जयकार हो रही है, लेकिन क्रिकेट जगत में सर्वाधिक सेंचुरी लगाने के मामले में सचिन अभी 10 बल्लेबाजों से पीछे हैं।

सचिन ने 100वां सैकड़ा इंटरनेशनल क्रिकेट में पूरा किया है। लेकिन क्रिकेट इतिहास में सर्वाधिक शतक लगाने का रिकॉर्ड अब भी इंग्लैंड के जैक होब्स सबसे आगे हैं। होब्स ने अपने 29 साल के करियर में 199 शतक लगाए थे। दूसरे स्थान पर इंग्लैंड के ग्रीम हिक का नाम है, जिन्होंने 178 शतक लगाए हैं।

क्रिकेट जगत में सर्वाधिक शतक लगाने वाले टॉप 11 बल्लेबाज इस प्रकार से हैं-

जैक होब्स (इंग्लैंड) - 199

ग्रीम हिक (इंग्लैंड) - 178

ग्राहम गूच (इंग्लैंड) - 172

पेट्सी हेन्ड्रेन (इंग्लैंड) - 170

वैली हैमण्ड (इंग्लैंड) - 167

ज्यॉफ्री बॉयकॉट (इंग्लैंड) - 159

फिल मीड (इंग्लैंड) - 153

हर्बर्ट सटक्लिफ (इंग्लैंड) - 151

फ्रेंक वूली (इंग्लैंड) - 145

विवियन रिचर्ड्स (वेस्ट इंडीज) - 140

सचिन तेंडुलकर (भारत) - 139 

टैक्स सेविंग्स में शामिल स्कीम्स

टैक्स सेविंग्स की ज्यादातर स्कीम्स अधिकतम सुरक्षा के साथ ऊंचा रिटर्न भी मुहैया कराती हैं। ऐसे में मेहनत से कमाई गई रकम को अगर टैक्स से बचाना चाहते हैं, तो आपको कुछ विकल्पों पर गौर करना होगा। टैक्स सेविंग के लिए सबसे अहम प्रावधान सेक्शन 80सी के तहत किए गए हैं। इसके तहत छूट में शामिल स्कीम्स में 1 लाख रुपए तक निवेश कर 30,900 रुपए तक टैक्स बचा सकते हैं।



पीपीएफ

पीपीएफ में 70,000 रुपए तक निवेश कर धारा 80सी के तहत इस राशि पर इनकम टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। इसमें हर साल रिटर्न फिक्स होता है। अभी फिलहाल यह 8 फीसदी है। यह एकमात्र ऐसा विकल्प है, जो पूरी तरह टैक्स फ्री है। 


इंश्योरेंस प्रीमियम

इसमें 1 लाख रुपए तक का निवेश किया जा सकता है, लेकिन सालाना प्रीमियम की राशि सम-एश्योर्ड का कम से कम 20 फीसदी होनी चाहिए। इसमें रिटर्न बाजार पर निर्भर करता है। अगर यह इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (श्वरुस्स्)है, तो 3 साल की मैच्योरिटी के बाद मिलने वाली रकम टैक्स फ्री होगी। जहां तक जनरल इंश्योरेंस स्कीम की बात है, तो यह संबंधित साल की इनकम की तरह मानी जाएगी और उसी के मुताबिक टैक्स लगेगा। 


म्युचुअल फंड्स

EELS में 1 लाख रुपए तक के निवेश को अनुमति है। ऐसे इंस्ट्रुमेंट्स से मिलने वाला रिटर्न बिल्कुल टैक्स फ्री है। हालांकि इस रिटर्न में मार्केट रिस्क भी शामिल होता है।


ट्यूशन फीस

टैक्स अदा करने वाले शख्स द्वारा अपने दो बच्चों की ट्यूशन फीस पर 1 लाख रुपए तक किए जाने वाले खर्च को टैक्स योग्य राशि में से घटा दिया जाता है। सेक्शन 80सी के तहत छूट के लिए इस मद में अधिकतम सीमा 1 लाख रुपए है। 


होम लोन का भुगतान

होम लोन संबंधी 1 लाख रुपए तक के प्रिंसिपल अमाउंट पर धारा 80सी के तहत छूट मिलती है। इस राशि को टैक्स योग्य राशि में से घटा दिया जाता है। अगर आपने खुद के इस्तेमाल के लिए घर खरीदा है, तो इसके तहत 1.5 लाख रुपए तक दिए जाने वाले ब्याज पर भी टैक्स नहीं लगेगा। 


पेंशन फंड

किसी इंश्योरेंस कंपनी के पेंशन फंड में अगर आप 1 लाख रुपए तक निवेश करते हैं, तो यह राशि टैक्स योग्य रकम से हटा दी जाएगी। छूट का फायदा उठाने के लिए आप न्यू पेंशन स्कीम में निवेश कर सकते हैं। इसकी अधिकतम सीमा धारा 80सी के तहत 1 लाख रुपए है। हालांकि जब आप इसे निकालेंगे तो इस पर टैक्स लगेगा।


एजुकेशन लोन का रीपेमेंट

अगर आप खुद या परिवार के किसी शख्स की हायर एजुकेशन के लिए लोन लेते हैं, तो इस पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है। हालांकि प्रिंसिपल अमाउंट की अदायगी पर कोई छूट नहीं मिलती है।


मेडिक्लेम पॉलिसी 

माता-पिता के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदने पर इनकम टैक्स में 15,000 रुपए की छूट मिलती है। अगर आपके माता-पिता सीनियर सिटिजन हैं, तो छूट की राशि 20,000 रुपए तक हो सकती है। इसके अलावा आप खुद की मेडिक्लेम पॉलिसी के लिए भी 15,000 रुपए तक की छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं। 


अक्षम डिपेंडेंट के लिए

अगर आप शारीरिक तौर पर अक्षम लोगों का इलाज करवा रहे हैं, तो आपको टैक्सेबल इनकम में 50,000 रुपए तक की छूट दी जा सकती है। इसके लिए प्रावधान की गई राशि को एप्रूव्ड इंश्योरेंस कंपनियों की स्कीम में लगाकर भी छूट का फायदा उठाया जा सकता है। अगर शारीरिक अक्षमता बहुत ज्यादा है, तो छूट की राशि बढ़कर 1 लाख रुपए तक भी हो सकती है। इसके लिए जरूरी दस्तावेज लगाने पड़ते हैं।

वार्षिक बजट २०१२ : एक नजर

केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश वर्ष 2012-13 के आम बजट में आपने क्या खोया और क्या पाया, आइए इस पर एक नजर डालते हैं :

क्या पाया :

-आयकर में छूट की न्यूतम सीमा 1,80,000 रुपये से बढ़ाकर 2,00,000 की गई है।

-कर स्लैब में सुधार : दो से पांच लाख रुपये आय पर 10 फीसदी कर तथा पांच लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक आय पर 30 फीसदी कर का प्रस्ताव है।

-रोगों से बचाव के लिए स्वास्थ्य जांच पर 5,000 रुपये तक खर्च को कर से मुक्त रखा गया है।

-उत्पाद शुल्क में कटौती के कारण एलसीडी व एलईडी टेलीविजन सेट सस्ते हो जाएंगे।

-जीवन रक्षक दवाइयां, ब्रांडेड रेडीमेड कपड़े सस्ते होंगे।

-बैटरियों पर लगने वाला उत्पाद शुल्क हटा लिए जाने से इलेक्ट्रॉनिक वाहन सस्ते हो सकते हैं।

-सौर ऊर्जा लैम्प, एलईडी लैम्प, चांदी के ब्रांडेड गहने, प्राकृतिक गैस, एलएनजी, यूरेनियम, विमान के कल-पुर्जे, टायर, परीक्षण उपकरण, कंस्ट्रक्शन मशीनरी और मोबाइल सस्ते होंगे।

क्या खोया :

-तैयार वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने से दैनिक उपयोग की ज्यादातर वस्तुएं महंगी हो जाएंगी।

-निजी अस्पतालों में इलाज कराना और महंगा हो जाएगा।

-हवाई यात्रा, होटल में ठहरना तथा वकील की मदद लेना और महंगा हो जाएगा।

-लक्जरी कार, सोना, पॉलिस किए हुए रत्न-जवाहरात महंगे होंगे।

-चार मीटर से अधिक लम्बी कार, जिसके पेट्रोल इंजन की क्षमता 1,200 सीसी हो तथा डीजल इंजन की क्षमता 1,500 सीसी हो, महंगी हो जाएगी।

-हर फिक्र को धुएं में उड़ाने के शौकीन तथा तम्बाकू का सेवन करने वालों को सिगरेट, बीड़ी और पान मसालों की कीमत अब ज्यादा चुकानी होगी।

-शराब के शौकीनों को भी जेब पहले से ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी।

-फोन बिल, टीवी, एसी, फ्रिज, घड़ी, बैंक ड्राफ्ट, ब्यूटी पार्लर, कोचिंग, मकान खरीदना और कोरियर सेवा महंगी हो जाएगी।

 
Thursday, March 8, 2012

सुहास गोपीनाथ चौदह साल की उम्र में अपनी company start की


आइये हम आपको मिलवाते हैं दुनिया के youngest CEO, Mr. Suhas Gopinath ( सुहास गोपीनाथ) से.
World's Youngest CEO
Suhas Gopinath
आज से करीब दस-बारह साल पहले जब सुहास ने Globals Inc की foundation डाली थी तो वो महज चौदह वर्ष के थे,और तब उन्हें खुद ही नहीं पता था कि वो दुनिया के सबसे कम उम्र के CEO बन गए हैं. और ये काम उन्होंने किसी आलिशान office में बैठ के नहीं बल्कि Banglore के एक छोटे से Cyber-Cafe में बैठ कर किया था.
आज Globals Inc एक multi-million dollar company है और इसके operations USA, UK, Spain, Australia, इत्यादि देशों में फैले हुए हैं. मात्र पच्चीस वर्ष की अवस्था में, जब जादातर लोग अपनी पढाई पूरी करने में ही लगे होते हैं; तभी Suhas Gopinath ने अनेकों उपलब्धियां हांसिल कर रखी है –
  • वो World Bank की ICT Advisory Council के BOARD MEMBER हैं
  • साल 2007 में उन्हें European Parliament and International Association for Human Values ने “Young Achiever Award से सम्मानित किया.
  • World Economic Forum. ने उन्हें ‘Young Global Leaders’for 2008-09 के सम्मान से भी नवाजा.
  • वो World Economic Forum हे अब तक के सबसे young member भी हैं.
क्या बात है!!!
आइये उन्ही की जुबान से जानते हैं उनकी कहानी:
सुहस का बचपन:
मैं एक माध्यम-वर्गीय परिवार से belong करता हूँ . मेरे पिता Indian Army में बतौर Scientist काम करते थे. और मैं Banglore के Airforce School में पढता था. बचपन में मेरा interest animal और vetrinary science में था . लेकिन जब मैंने अपने दोस्तों जिनके पास PC था; को कंप्यूटर के बारे में बात करते सुनता था तो मेरे अंदर भी एक चाहत उत्पन्न हुई की मैं भी उनकी तरह बात करू.
उस वक्त हमारे घर पे computer नहीं था और न ही हम उसे afford कर सकते थे. इसलिए मैंने अपने घर के नजदीक ही एक Internet Cafe find किया, तब मुझे हर महीने सिर्फ 15 रूपए बतौर pocket money मिलते थे, इतने पैसों में रोज internet नहीं surf किया जा सकता था. लेकिन मैंने इस दूकान के बारे में एक चीज notice की थी, ये हर रोज दोपहर में 1 बजे से 4 बजे तक बंद रहती थी. मैंने दुकानदार को एक offer दिया कि school के बाद 1 बजे से 4 बजे तक मैं आपकी दूकान खोलूँगा और customers का ध्यान रखूंगा. बदले में आप मुझे free में net surf करने देंगे. ये मेरी life की पहली business deal थी, और ये काफी सफल साबित हुई.
Website बनाने की दीवानगी:
अब मेरे पास कंप्यूटर और Internet दोनों था ..धीरे-धीरे मैंने website बनाना शुरू कर दिया. और कुछ ही समय में ये मेरा passion बन गया. Internet पे कुछ freelance marketplace होते हैं जहाँ मैं एक website-builder के रूप में registerहो गया. मुझे पहली वेबसाइट free of cost बनानी पड़ी क्योंकि मेरे पास references नहीं थे. ये New York के एक कंपनी की वेबसाइट थी. मेरी पहली कमी $100 की थी जो मुझे एक अन्य website बनाने पे मिली, तब मैं 13 वर्ष का था. चूँकि मेरा कोई bank account नहीं था इसलिए मैंने अपने पापा को इस बारे में बताया.
मैं पैसे को ले के जरा भी excited नहीं था. क्योंकि मई ये काम पैसे के लिए नहीं, अपने passion के लिए करता था. मैं free में भी वेबसाइट बनाता था, तब मैं नौवीं कक्षा का ही छात्र था. उसके बाद मैंने coolhindustan.com नाम का एक पोर्टल बनाया. जो NRIs पे focussed था. मैं इस पोर्टल के माध्यम से अपनी skills दिखाना चाहता था. उसके बाद तो कई कम्पनिया मुझे अपना web-designer बनाने के लिए approach करने लगीं.
जब अपना पहला computer खरीदा:
जब मैं 9th class में था तभी मैंने computer खरीदने के लिहाज से काफी पैसे जमा कर लिये थे. उस समय मेरा भाई Engineering कर रहा था , पापा ने सोचा उसे कंप्यूटर की ज़रूरत है और उसके लिए कंप्यूटर खरीद दिया, कुछ ही समय में मैंने भी एक कंप्यूटर खरीद लिया. पर मेरे घर पे net-connection नहीं था. Net-cafe में जादा समय देने से मेरी पढाई भी प्रभावित हुई. मैंने 9th के बाद अपनी सारी summer vacation cafe में काम करते हुए बिताई.
जब US से job-offer मिला :
जब मैं चौदह साल का था तब US की एक कंपनी NetworkSolutions से मुझे part -time job का offer मिला, वो US में मेरी education भी sponsor करने को तैयार थे . पर मैंने वो offer reject कर दिया क्योंकि उसी दौरान मैंने Bill Gates के बारे में पढ़ा था किउन्होंने कैसे Microsoft कि शुरुआत की थी.
मैंने सोचा अपनी कंपनी शुरू करने में जादा मजा है. US की कई कंपनियां मुझसे कहती थीं कि मेरी तो मूंछ भी नहीं है और वो मेरी services लेने में insecure feel करती हैं. वो मेरी ability को मेरी उम्र और qualification से जोड़कर देखती थीं.इसलिए मैंने अपनी कंपनी शुरू करने कि सोची ताकि मैं दुनिया को दिखा सकूं कि age और academic qualification मायने नहीं रखते हैं. मैंने निश्चय किया कि जब मैं अपनी कंपनी start करूँगा तो मैं सिर्फ youngsters को लूँगा और उनसे उनकी academic qualification या marks के बारे में नहीं पूछूँगा. आज मैं इस चीज को अपनी कंपनी में follow करता हूँ.
जब चौदह साल की उम्र में अपनी company start की :
Class 9th की छुट्टियाँ खतम होने के कुछ दिन बाद ही मैंने अपनी कंपनी Globals Inc. की शुरुआत की. मैं कंपनी का नाम Global या Global Solutions रखना चाहता था, पर दोनों ही नाम available नहीं थे, इसलिए मैंने Globals नाम रख लिया.
मैंने अपनी कंपनी US में register कराइ क्योंकि India में आप 18 वर्ष से कम उम्र में कंपनी नहीं डाल सकते. US में कंपनी शुरू करने में बस 15 minute लगते हैं. मैं company का owner और CEO बन गया, मेरा एक दोस्त जो अमेरिका की एकUniversity का छात्र था board member बन गया. मैं काफी excited था क्योंकि यही तो मैं करना चाहता था. उस दिन से मैं अपनी कंपनी को Microsoft के जितना बड़ा बनाने का ख्वाब देखेने लगा.
पहले साल में Globals Inc का turn-over Rs. 1 lac था ,जो दुसरे साल में बढ़कर Rs. 5 Lac हो गया.
स्कूल में अच्छा ना करने पर:
अपने pre-board CBSE exam में मैं Mathematics में fail हो गया. स्कूल की हेड-मिस्ट्रेस shocked हो गयीं,क्योंकि पहली बार मैं किसी subject में fail हुआ था. उन्होंने मेरी माँ को बुलाया और मेरी शिकायत की. घर पे माँ ने मुझसे कसम ली की मैं पढाई पे ध्यान दूँगा. मैंने अपनी माँ से कहा कि जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी ,Bill Gates ने अपनी पढाई पूरी नहीं की तो आप मुझे पढाई के लिए force क्यों करती हैं? तब उन्होंने कहा कि मैं sure हूँ कि तुम्हारी और उसकी कुंडली एक जैसी नहीं हैं.
मैं एक ऐसे परिवार से हूँ जहाँ entrepreneurship को पाप समझा जाता है. मेरी माँ काफी upset थीं , वो चाहती थीं कि मैं पहले Engineering और फिर MBA करके किसी अच्छी कंपनी में काम करूं. अपनी माँ कि इच्छाओं का ख़याल रखते हुए मैंने चार महीने तक अपनी कंपनी के लिए कोई काम नहीं किया और board exams की तयारी में जुट गया . मैंने परीक्षाएं first class में पास की.
मैं अभी भी feel करता हूँ कि सिर्फ bookish knowledge से कुछ नहीं होता ,practical knowledge बहुत जरूरी है.
Europe बतौर एक Market:
जब मैं 16-17 साल का था तब तक मैंने अपनी कंपनी के बारे मैं घर मैं किसी को कुछ नहीं बताया था, वो येही समझते थे कि मैं एक freelancer हूँ . हम लोग वेबसाइट बनाना , online-shopping , e-commerce से related काम करते थे . कभी कभी हम US में part-time programmers को भी काम देते थे, पर अभी तक हमारा कोई ऑफिस नहीं था. जब मैं सोलह साल का था तब मैंने महसूस किया कि Europe में काफी opportunities हैं क्योंकि जादातर भारतीय IT companies US पे ही focus कर रहीं थीं. जब मैंने Spain कि एक कंपनी को contact किया तब उन्होंने हमारे साथ ये कहते हुए काम करें से मना कर दिया कि Indians को Spanish नहीं आती.
एक entrepreneur rejection नहीं स्वीकार कर सकता खासतौर पे जब वो young हो. मैंने Spanish Universities से पांच interns को hire किया और उन्हें उनके successful sales के हिसाब से pay करने को कहा. इन लोगों ने हमारी कंपनी के लिए projects लाये . तब मैंने decide किया कि Spain में हमारा एक office होना चाहिए.ठीक ऐसा ही मैंने Italy में भी किया.
जब Germany में Entrepreneurship पर बात करने गए :
American news-paper और BBC मेरे बारे में काफी कुछ बता रहे थे “World’s youngest CEO at 14 from a middle class background” मैंने कभी lime-light में आने के बारे में नहीं सोचा था, मेरे लिए तो एक कंपनी स्टार्ट करना मेरे passion का हिस्सा था. ये सब देख कर Germany के एक B-School ने मुझे entrepreneurship पर अपने स्टुडेंट्स से बात करने के लिए invite किया. तब मैं 17 साल का था , मैंने अपनी बारहवीं कि पढाई पूरी कर ली थी और बेंगलुरु के एक Engineering College में दाखिला ले लिया था. जब मैं 18 साल का था तब मैंने अपनी कंपनी का Europeanhead-quarter, Bonn में set-up कर दिया.
इस तरह से हमने एक छोटे से Internet Cafe से एक multi-national company तक का सफर तय किया जिसके operations आज Europe, Middle East, the US, Canada, the UK, Australia,आदि जगहों पर फैले हुए हैं.
Suhas Gopinath With Bill Gates
जब 18 साल में भारत में कंपनी register की :
जिस दिन मैं अठारह साल का हुआ उसी दिन मैंने अपनी कंपनी को भारत में Globals नाम से register कर लिया और चार लोगों को recruit कर लिया. मैंने अपना ऑफिस उसी cafe के बगल में खोला जहाँ से मैंने अपने career की शुरुआत की थी. अब तक वो cafe बंद हो चूका था और उसका मालिक किसी फैक्ट्री में काम करने लगा था. वो जब ही मुझे मिलता मै उससे येही कहता कि “ आपने मुझे तो entrepreneur बना दिया पर खुद एक नौकरी कर ली”
कंपनी को एक Products company बनाने पर:
हम अपनी कंपनी को एक products company भी बनाना चाहते थे और हमारा focus education पर था. हमने एक ऐसा software बनाया है जो बच्चे के स्कूल में दाखिले से लेकर उसके निकलने तक उसकी सारी जानकारी रखे.हम इस क्षेत्र में market leader बनाना चाहते हैं. आज हमारा ये सॉफ्टवेर India, Singapore और Middle-East के सौ से जादा विद्यालयों में use हो रहा है.
जब Ex-President डा. अब्दुल कलाम से मुलाक़ात हुई:
Suhas with Dr. APJ Abdul Kalam
जब मैं Dr.  Abdul Kalam से मिला तब वो भारत के राष्ट्रपति थे. तब मैं 17-18 साल का था . वो meeting 15 min की होनी थी लेकिन हमारा conversation इतना intense था कि हमारी मुलाक़ात देढ घंटे तक चली. मुझे लगा ही नहीं कि मैं President of India से बात कर रहा हूँ. हम लोगों ने दो दोस्तों की तरह बात की. वो पहले टेबल की दूसरी ओर बैठे थे ,फिर बाद में मेरी बगल में आ के बैठ गए.यह मेरे लिए एक बड़ा ही यादगार और अच्छा learning experience था.
2005 में World Bank का board-member बनने पर:
अपनी parents की इच्छानुसार मैंने engineering में दाखिला तो ले लिया पर Bill Gates की तरह उसे complete नहीं कर पाया. जब मैं 5th Semester था, तब World Bank ने मुझे उनकी board meeting attend करने के लिए invite किया. उस board में मैं ही एक Indian था . इसका objective था कि emerging economies में किस तरह ICT का प्रयोग करके quality of education को improve किया जाय. Mr. Robert Zoellick , the President of World Bank सिर्फ Americans को बोर्ड में नहीं चाहते थे, वो और भी देशों से members चाहते थे. और चूँकि वो education पे focus कर रहे थे इसलिए वो young minds को इसमें include करना चाहते थे.
मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं कभी Worls Bank का Board Member बनूँगा. ये मेरी जिंदगी का सबसे unforgettable moment था.मुझे direct Robert B Zoellick को report करना था. CEO of Cisco, VP of Microsoft ,CEO of SAP, etc भी इस बोर्ड के मेम्बर थे.
अपनी कंपनी के future पर :
मैंने हमेशा येही माना है कि IT महज एक technology नहीं है बल्कि problems solve करने का एक tool है. और मैं येही इसcompany में करना चाहता हूँ . मैं चाहता हूँ कि Globals, educations से related software solutions provide करने में market-leader हो.
जब मैं छोटा था तब मैं पैसों के बारे में जादा care नहीं करता था , लेकिन अब मैं अपने employees के लिए उत्तरदायी हूँ ,अगर मैं पैसों के बारे में न सोचूं तो हम scale-up नहीं कर पायेंगे. जब मैंने बेंगलुरु के एक cafe से कंपनी शुरू कि थी तब मैंने सोचा भी नहीं था कि एक दिन ये multi-million dollar कंपनी बन जायेगी . मेरा driving force मेरा passion है और अभी तक का सफर काफी amazing रहा है.
 
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